शेर और चूहे की कहानी
एक जंगल में एक शेर रहता था। दिनभर जानवरों का शिकार करते वह थक गए था। वह एक पेड़ के नीचे आराम से सो रहा था, तभी एक चुहिया बिल से बाहर आई। वह शेर की पीठ पर चढ़कर नाचने लगी। शेर को गुस्सा आ गया। वह गुर्रा कर बोला-“ऐ चुहिया! तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी पीठ पर चढ़ने की? तू जानती नहीं मैं जंगल का राजा हूं। तुमने मेरी नींद खराब कर दी।
ठहर!मैं तुझे बताता हूं।”उसने चुहिया को अपने पंजे में दबोच लिया। चुनिया बेचारी डर के मारे थर-थर कांपने लगी। चूहिया बोली-“महाराज! आप तो जंगल में बड़े-बड़े जानवरों का शिकार करते हैं। मुझे मार कर आप का क्या भला होगा? मैं छोटी हूं तो क्या? कभी-न-कभी जरूर आपके काम आऊंगी।”शेर बड़े जोर से ठहाका मारकर हंसा और उसने चुहिया को छोड़ दिया। कुछ दिन बाद जंगल में एक शिकारी आया। उसके जाल में फस गया। शेर सहायता के लिए जोर जोर से दहाड़ने लगा।
शेर की आवाज सुनकर चुनिया बिल से निकलकर दौड़ी-दौड़ी आई। शेर की हालत देख कर वह दुखी हुई। उसने जाल काट दिया और शेर को आजाद करा दिया।